Wednesday 24 June 2009

" सत्यमेव जयते "




" सत्यमेव जयते "
सत्य का सामना करना जितना मुश्किल होता है, उस से ज्यादा सत्य की राह पर चलना होता है, हम किसी भी युग की बात करें, जब भी जिस किसी ने अपने जीवन का आदर्श सत्य के मार्ग को चुना, उस ने जीवन का भौतिक आनंद कम और परेशानियों, मुश्किलों, और अपमान का स्वाद ज्यादा चखा हैं, सत्यवादी हरिश्चंदर, महात्मा गाँधी जैसी पुन्य आत्माओं के किस्से हमारे सामने हैं।
भौतिक आनंद और आलौकिक आनंद में दिन रात का फर्क है, भौतिक आनंद में जब तक जीवन है शरीर सुख का भोग तो होता है परन्तु मन, आत्मा और स्वाभिमान कुंठित रहते हैं। जबकि आलौकिक आनंद से जीवन का लक्ष्य गद-गद होता है। आलौकिक सुख पाने के लिय जीवन की चर्या केवल सच्चाई के मार्ग पर निस्वार्थ भाव से चल कर के ही पाई जा सकती है।
सत्य का मार्ग कटीला है पर सुखदाई है, इस में परेशानी है पर पराजय नहीं, सत्य मनुष्य को परमार्थ की तरफ ले जाता है, सत्य निर्भय है, सत्य शाश्वत है, सत्य ईश्वर का रूप है, सत्य अपराजय है, सत्य सृष्टि है। सत्य की राह पर चलने वाला दुखी तो जरुर होता है परन्तु उसे अंत में जीवन का वो मुकाम मिलता है, जहाँ वह ईश्वर का पर्याय हो जाता है।
किसी महान आत्मा, विचारक और संत ने सत्य की आलौकिक परिभाष करते हुए बहुत ही सटीक कहा है:-
" सत्य परेशान तो होता है परन्तु परास्त नहीं"

अमृत कुमार शर्मा