Wednesday 10 September 2014

tajmehal


 

ताजमहल को मुहबत का अनूठा प्रतीक माना  जाता है, और ये दुनिया के सात अजूबों मेसे एक है, जो भारत के लिए स्वाभिमान की बात है.  इन दिनों इस पर चर्चा जोरो पर हो रही है की ये शाहजहाँ द्वारा राजा जय सिंह से छीना गया शिव मंदिर है, जो कही तर्कसंगत लगता भी है ! कारण  यह कि, आखिर पानी की बून्द कियूं गिरती है । मकबरे पर पानी की बून्द के  गिरने का वर्णन कही नही सुना है, केवक शिव लिंग पर पानी चढ़ाने की परम्परा है और इस का उलेख पुरातन समय से इतिहास में सुना व् समझा जाता है।  एक तथ्ये  ये भी की शाहजंहा के पास इतने उम्दा शिल्पी अगर थे, तो इस  दुनिया की सब से सुन्दर इमारत में उनसे ये छिद्र कैसे रह गया ? मिस्त्री को तो इसके लिए सजाये मौत  हो जाती, जब की उलेख तो ये है की कही मिस्त्री ताज जैसी इमारत और न बना दे इसलिए उन शिल्पियों के हाथ काट दिए थे. फिर तो ये चर्चा सही ही है की ताज अवशय ही शव मंदिर होगा। राजा जय सिंह ने इस ईमारत में छिद्र इसलिए रखवाया होगा ताकि सावन के महीने में शिवलिंग का अभिषेख सीधा प्राकृतिक तौर पर हो. ये इसलिए भी तर्कसंगत है कि इतनी सुन्दर ईमारत में ये छोटी गलती कोई नही कर सकता।  छिद्र रखवा के ही किया गया जो शिवालये के होने को सम्पादित करता है. फैसले का इंतजार करना होगा जो हमारी समृद्ध न्याय परम्परा है।
                           हमारा मकसद यहाँ केवल इतना है कि मुहब्बतें कैसी   होती है ? ताज चाहे मुमताज के लिए बना हो या फिर शिव की आराधना के लिए दोनों ही इंसानो ने अपनी अपार, शाश्वत व् प्रगाढ़ प्रेम का, जिसे मुहबतें कहते है, उसका अनूठा परिचय देते हुए, ये श्रेष्ठ कृति बना कर मुहबतों को समर्पित कर  अपनी अलौकिक परिष्कृत  मानसिकता का लोकार्पण किआ है. आज सब इस कृति को देख केवल एहि कहते है वाह क़्या  बात है बनाने वाले की।


सुनीतामृत ( किंगल - कुमारसैन )